
फुलपरास अनुमंडल मुख्यालय स्थित शहीद परमेश्वर लोहिया चरण महंथ रामकृष्ण महाविद्यालय परिसर में रविवार को एक अहम बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में इलाके के बुद्धिजीवी, समाजसेवी, राजनीतिक प्रतिनिधि और शिक्षाविद बड़ी संख्या में उपस्थित हुए। बैठक की अध्यक्षता महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य देवनारायण यादव ने की, जबकि पूर्व सांसद एवं पूर्व मंत्री मंगनी लाल मंडल की विशेष उपस्थिति रही।
बैठक का मुख्य उद्देश्य फुलपरास अनुमंडल क्षेत्र में सरकारी स्तर पर एक अंगीभूत डिग्री महाविद्यालय की स्थापना को लेकर ठोस रणनीति बनाना था। सर्वसम्मति से यह तय किया गया कि इस दिशा में प्रशासनिक स्तर से लेकर राज्य सरकार तक लगातार संवाद और प्रक्रिया अपनाई जाएगी, ताकि इलाके के छात्र-छात्राओं को उच्च शिक्षा के लिए दूर नहीं जाना पड़े।
पूर्व सांसद मंगनी लाल मंडल ने बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि बिहार सरकार ने अपने वित्तीय बजट 2025-26 में यह घोषणा की है कि जिन प्रखंडों में अभी तक कोई सरकारी डिग्री कॉलेज नहीं है, वहां पर चरणबद्ध तरीके से महाविद्यालय की स्थापना की जाएगी। राज्य के 534 प्रखंडों में से 358 प्रखंडों में अभी तक कोई अंगीभूत डिग्री महाविद्यालय नहीं है। सरकार ने इसी साल 20 अन्य अनुमंडल या प्रखंड मुख्यालयों में डिग्री कॉलेज खोलने का निर्णय लिया है।
मंडल ने यह भी कहा कि फुलपरास एक अनुमंडल और प्रखंड मुख्यालय है, वहां आज भी एक भी सरकारी डिग्री कॉलेज नहीं है, जो चिंता का विषय है। उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार की घोषणा और नीति को आधार बनाकर स्थानीय लोग प्रशासनिक और राजनीतिक स्तर पर मांग रखें, ताकि फुलपरास को इस योजना में प्राथमिकता दी जाए।
बैठक में यह निर्णय भी लिया गया कि सरकार, विश्वविद्यालय और प्रशासनिक विभागों से आवश्यक दस्तावेज और गजट की प्रति प्राप्त की जाएगी और उपयुक्त भूमि की पहचान के लिए एक समिति का गठन भी किया गया। यह समिति न केवल जमीन की तलाश करेगी, बल्कि सरकार के सभी मापदंडों को ध्यान में रखते हुए आवश्यक प्रस्ताव तैयार करेगी।
बैठक में प्रखंड प्रमुख रामपुकार यादव, मुख्य पार्षद धर्मेन्द्र कुमार साह, राजद अध्यक्ष डॉ धनवीर प्रसाद यादव, कांग्रेस अध्यक्ष रणबीर सेन, भाजपा नेता कृष्ण कुमार सिंह यादव, अनिल लोहिया, रामचंद्र यादव, बैजनाथ यादव, प्रधानाचार्य डॉ हरिनारायण यादव, शिक्षक यशोधर प्रसाद यादव, रामबाबू यादव, महेन्द्र यादव, उमेश प्रसाद यादव सहित सैकड़ों की संख्या में शिक्षाविद और समाज के प्रबुद्ध लोग शामिल हुए।